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Shloka: | कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः। धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोभिभवत्युत॥ |
Bhagavad Gita Reference: | 1.40 |
Mahabharata Reference: | 6023040 |
Hindi Trnaslation: | (यह तो सिद्ध ही है कि) कुल का नाश होने से शाश्वत कुलधर्म विनष्ट हो जाते हैं और धर्म का नाश होने पर समस्त कुल को सभी ओर से पाप आवृत्त लेता है ॥४०॥ |
Sandhi-split Shloka: | कुलक्षये सनातनाः कुलधर्माः प्रणश्यन्ति उत धर्मे नष्टे कृत्स्नम् कुलं अधर्मः अभिभवति। |
Anvayakrama: | कुलक्षये सनातनाः कुलधर्माः प्रणश्यन्ति उत धर्मे नष्टे कृत्स्नम् कुलं अधर्मः अभिभवति॥ |
Bhagavad Gita Tagged Shloka: | कुलक्षये/NP प्रणश्यन्ति/KP कुलधर्माः/NP सनातनाः/NV धर्मे/NP नष्टे/KNB कुलं/NP कृत्स्नम्/NV अधर्मः/NP अभिभवति/KP उत/AVK ॥/PUNC 1.40/PUNC ॥/PUNC Tagging scheme used |